हेयं दु:खमनागतं
ध्येयं व्रह्म सनातनम् ।
आदेयं कायिकं सुखं
विधेयं जन सेवनम्। ।
अर्थात जीवन मे दुख के आने से पहले ही उसके रोकने का उपाय करना सदैव भगवान पर भरोसा करना शारीरिक सुख को सुरक्षित रखना और सामर्थ्य के अनुसार समाज की सेवा करना जो अपना लक्ष्य वना लेता है उसी का जीवन सफल तथा सुखमय होता है
मंगलमय शुभ दिवस ।