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Subha Muhurata

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Daily Subha Muhurata

माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी शनिवार अश्विनी नक्षत्र
२८जनवरी २०२३संवत२०७९

पंचैव पूजयन् लोके,
यश: प्राप्नोति केवलम्।
देवान् पितॄन् मनुष्यांश्च,
भिक्षून् अतिथि पंचमान्॥

अर्थात -सनातन थर्म के अनुसार प्रत्येक प्राणी को देवता, पितर, मनुष्य, भिक्षुक तथा अतिथि-इन पाँचों की सदैव सच्चे मन से अपने सामर्थ्य के अनुसार
पूजा-स्तुति सेवा करनी चाहिए। इससे जीवन मे यश और सम्मान प्राप्त होता है और भगवान प्रसन्न होकर सभी कार्य सफल कर देते है

मङ्गलं सुप्रभातम्

माघ शुक्ल पक्ष षष्ठी गुरुवार उ०भा० नक्षत्र
२६जनवरी २०२३संवत २०७९

आज गणतंत्र दिवस भी है

दानं भोगो नाशस्तिस्रो
गतयो भवन्ति वितस्य।
यो न ददाति न भुंक्ते
तस्य तृतीया गतिर्भवति।।

अर्थात शास्त्रो में धन की तीन गतिविधियों का वर्णन मिलता है १दान २ भोग ३नाश जो न दान करता है न भोग करता है उस धन की तीसरी ग़ति (नाश) होती है अतःसमय रहते धन को अपने उपयोग (भोग) मे और यथा शक्ति दान में लगाकर तीसरी ग़ति नाश से बचाने का प्रयास करना चाहिए

गणतंत्र दिवस की मंगल 🏵️कामना सुदिन सुन्दर सुप्रभात

माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी बुधवार पू०भा०नक्षत्र २५जनवरी२०२३

कृत्वा पापं हि संतप्य
तस्मात्पापात्प्रमुच्यते ।
नैवं कुर्यात्पुनरिति
निवृत्तया पूयते तु सः।।

अर्थात पाप करने वाला यदि सच्चे हृदय से ग्लानि मानकर पश्चाताप करै और ऐसी गलती फिर हमसे दुवारा नही होगी ऐसी प्रतिज्ञा करै अपने को ठीक से सन्मार्ग पर चलने के लिए तैयार कर
ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते है

मंगलमय शुभ सुखद सुप्रात

माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी मंगलवार शतभिषा नक्षत्र २४ जनवरी २०२३संवत २०७९

गुणाधिकान्मुदं लिप्सेद्
ऽनुक्रोशं गुणाधमात्।
मैत्रीम् समानादन्विच्छेन
तापैरभिभूयते ।।

अर्थात मनुष्य को चाहिए कि अपने से अधिक गुणवान को देखकर प्रसन्न हो जाए जो अपने से कम गुण वाला हो उस पर सदैव दया करै और जो अपने समान गुण वाला हो उससे मित्रता का भाव रखै ऐसा करने वाला मानव कभी भी जीवन मे दुखी नही होता है वह सदा समाज मे प्रसन्नता पूर्वक अपना
जीवन यापन करते हुए समाज को सन्मार्ग पर ले जाता है

मंगलमय सुखद शुभ दिवस

माघ शुक्ल पक्ष द्वितीया सोमवार धनिष्ठा नक्षत्र २३जनवरी२०२३

कष्टं च खलु मूर्खत्वम्
कष्ट' च खलु यौवनम् ।
ष्टात्कष्टतरं चैव
परगेह निवासनम् । ।

अर्थात मूर्खतापूर्ण जीवन कष्टकारी होता है अकर्मण्य युवा अवस्था भी कष्टकारी होती पर सबसे अधिक कष्टदायक दूसरे के घर मे निवास करना होता है दूसरे घर मे रहने से जीवन की स्वाधीनता नष्ट हो जाती है यही दुख का सबसे वडा कारण है

मंगलमय सुखद शुभ दिवस

माघ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी गुरुवार नक्षत्र मूल १९जनवरी २०२३संवत २०७९

धर्मस्य दुर्लभो ज्ञाता सम्यक् वक्ता ततोऽपि च।
श्रोता ततोऽपि श्रद्धावान्कर्ता कोऽपि ततः सुधी:।।

अर्थात इस संसार में धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है,
उसे श्रेष्ठ तरीके से बताने वाला उससे भी दुर्लभ श्रद्धा से सुनने वाला उससे दुर्लभ, एवम् धर्म का जीवन में आचरण करने वाला सुबुद्धिमान, सदाचारी सबसे दुर्लभ है।

सुखद दिवस सुन्दर सुप्रभात

माघ कृष्ण पक्ष द्वादशी बुधवार अनुराधा नक्षत्र १८जनवरी २०२३

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।

अर्थात् माता सर्वतीर्थ मयी और पिता श्री सम्पूर्ण देवताओं के स्वरूप हैं। इसलिए हमें सभी प्रकार से श्रद्धा भक्ति पूर्वक माता-पिता की सेवा करना चाहिए। जो पुत्र अपने माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष तक माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह माता पिता से
उऋण नहीं हो सकता।

मंगलमय सुखद शुभ दिवस

माघ कृष्ण पक्ष एकादशी मंगलवार विशाखा नक्षत्र १७जनवरी २०२३ षट्तिला एकादशी सवके लिए १७जनवरी मंगलवार को है

एकेनापि सुपुत्रेण
विद्यायुक्ते च साधुना,
आह्लादितं कुलं सर्वं
यथा चन्द्रेण शर्वरी॥

अर्थात जिस प्रकार गगन मण्डल मे अकेला चन्द्रमा अपने दिव्य किरणो से रात की शोभा बढ़ा देता है, ठीक उसी प्रकार एक ही वेद शास्त्र सम्पन्न विद्वान संपूर्ण समाज के अज्ञान अन्धकार को मिटा देता है ऐसै ही एक ही सत्य मार्गी सज्जन सुपुत्र सम्पूर्ण कुल को आह्लादित कर देता है

आपका दिन शुभ मंगलमय हो

माघ कृष्ण पक्ष अष्टमी शनिवार नक्षत्र चित्रा १४जनवरी २०२३

मकर संक्रांति (खिचड़ी पर्व) १५जनवरी रविवार को है आज खिचड़ी खाने तथा खिचड़ी दान करने का विशेष महत्व है कुछ लोग रविवार को खिचड़ी नहीं खाना चाहिए जैसी वात करते हैं यह मकर संक्रांति के लिए नहीं है इसमे वार प्रधान नहीं है पर्व प्रधान है

विदिते चापि वक्तव्यं
सुहृद्भिरनुरागतः ।
एष धर्मश्च कामश्च
अर्थश्चैव सनातन ॥

अर्थात हमारे सनातन धर्म मे ऐसी व्यवस्था है कि
कोई व्यक्ति भले ही सब कुछ धर्म कर्म वेद पुराण जानता हो , फिर भी उस से स्नेह करनेवाले हितैषी जनो कायह परम कर्तव्य है कि उसे उसके हित की बाते समय समय पर बताते रहें । यहीं सनातन धर्म की विशेषता है धर्म अर्थ काम मोक्ष परक वार्ता अपने स्वजनो से करते रहै जिससे जीवन सौहार्दपूर्ण वना रहै

मकर संक्रांति खिचड़ी पर्व की मंगल कामना🏵️ सुदिन 🏵️सुप्रभात 🏵️

माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी शुक्रवार हस्त नक्षत्र
१३जनवरी २०२३संवत २०७९

यथा हि मलिनैर्वस्त्रै:
यत्र तत्रोपविश्यते।
एवं चलित वृत्तस्तु
वृत्त शेषं न रक्षति।

अर्थात जैसे कपड़े मैलै होने पर आदमी चाहे जहा वैठ जाता है वैसे ही जव किसी का चरित्र भ्रष्ट हो जाता है तव वह अपने वचे खुचे आचरण का भी नाश कर देता है इसलिए जीवन मे नियंत्रण नियमन और अनुशासन आवश्यक है यदि जीवन वासनानुसारी न होकर अनुशासनानुसारी हो तो उससे सुख शान्ति का उदय होता है

मंगलमय शुभ दिवस सुप्रभात

माघ कृष्ण पक्ष पंचमी दिन में 06:07amतक उपरि षष्ठी वुधवार नक्षत्र पू०फा०
११जनवरी२०२३संवत २०७९

तितक्षया करुणया
मैत्र्या चाखिलजन्तुषु
समत्वेन च सर्वात्मा
भगवान सम्प्रसीदति।

अर्थात अपने से वडो के प्रति सहनशीलता अपने से छोटो के प्रति दयापूर्ण व्यवहार अपने से वरावर वालो के प्रति मैत्रीपूर्ण भाव और धरतीतल के समस्त प्राणियो के साथ समता का भाव वर्ताव करने से ही सर्वात्मना श्री हरि अतिशय प्रसन्न होते है भगवान को प्रसन्न करने की यही सर्वोत्तम विधि है

मंगलमय सुन्दर सुखद दिवस

माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी 4:02 मंगलवार मघा नक्षत्र १०जनवरी २०२३

आज गणेश चतुर्थी व्रत है पुत्रवती माताएं पुत्र के दीर्घ जीवन के लिए रात्रि में 08:30वजे चन्द्रोदय का दर्शन करके श्रद्धा पूर्वक व्रत पूर्ण करेंगी

सुखं च दुःखं च भवाभवौ च
लाभालाभौ मरणं जीवितं च।
पर्यायशः सर्वमेते स्पृशन्ति
तस्माद्धीरो न हृष्येन्न शोचेत्॥

अर्थात -इस धरती पर सुख-दुःख, लाभ-हानि, जीवन-मृत्यु, उत्पत्ति-विनाश - ये सब स्वाभविक कर्म समय-समय पर सभी मनुष्य को प्राप्त होते रहते हैं। ज्ञानी पुरुष संत जन को इनके बारे में सोचकर न तो अत्यधिक प्रसन्न होना चाहिए, ना ही अत्यंत शोक करना चाहिए। ये सब शाशवत क्रियाएँ हैं प्राकृतिक रुप से होती रहती है यह ईश्वर का खेल चलता रहता है

मङ्गलमय सुखद सुप्रभातम्

माघ कृष्ण पक्ष द्वितीया 23:10रविवार नक्षत्र पुष्य ८ जनवरी २०२३

एकमप्यक्षरं यस्तु
गुरु: शिष्ये निवेदयेत् l
पृथिव्यां नास्ति तद् द्रव्यं
यद्दत्वा ह्यनृणी भवेत् ll

अर्थात मानव जीवन मे कोई भी सदगुरु अपने योग्यतम्
'शिष्य को जो एकाध अक्षर भी पढाता है या कुछ सिखाता है तो उस शिक्षा के बदले इस पृथ्वी की कोई ऐसी सम्पत्ति या कोई ऐसा धन नहीं है जिसे देकर अपने पथ प्रर्दशक महनीय सदगुरु के ऋण से मुक्त हो सकें ,वस जीवन भर सदगुरु के प्रति कृतज्ञता वनी रहै यही सर्वोत्तम उपाय है

मंगलमय सुखद सुप्रभातम्

पौष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 18:08 तक उपरि प्रतिपदा शुक्रवार नक्षत्र मृगशिरा ६जनवरी २०२३

अज्ञानाद्यदि वा ज्ञानात्
कृत्वा कर्म विगर्हितम्।
तस्माद्विमुक्तिमन्विच्छन्
द्वितीयं न समाचरेत्।।

अर्थात - ज्ञात (जानकारी)में अथवा अज्ञात(न जानते हुए) में यदि कोई निन्दित (खराब)कर्म हो गया तो उस निन्दित कर्म के कुपरिणाम से बचने के लिए उस निन्दित(खराव) कर्म को दुबारा नही करना चाहिए। (हालांकि गर्हित कर्मों का कुपरिणाम तो अवश्य मिलेगा किन्तु पुनः प्रवृत्ति उस कुपरिणाम को द्विगुणित कर देगा। इसलिए प्रयास करना चाहिए कि निन्दित कर्म की पुनरावृति फिर न होने पावै

मंगलमय सुखद सुप्रभातम

पौष शुक्ल चतुर्दशी 15:44 तक उपरि पूर्णिमा गुरुवार मृगशिरा नक्षत्र
५ जनवरी २०२३

परोपकरणं येषाम्
जागर्ति हृदये सताम्
नश्यन्ति पिपदस्तैषाम्
सम्पदः स्यु: पदे पदे।।

अर्थात जिन महापुरुषो सज्जनो के हृदय मे परोपकार की भावना जाग्रत रहती है उनके जीवन की अनेक विपत्तिया अपने आप समाप्त हो जाती है और उन्हे पग पग पर सम्पत्ति एवं यश ऐश्वर्य की प्राप्ति होती रहती है

मंगलमयसुखद सुप्रभातम

पौष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी रात्रि मे1:31pmउपरि चतुर्दशी वुधवार रोहिणी नक्षत्र ४ जनवरी २०२३

यांति न्यायप्रवृत्तस्य तिर्यंचोपि सहायतां ।
अपंथानां तु गच्छंतं सोदरोपि विमुञ्चति।।

जो मानव न्याय के पथ पर चलता है, उसे भगवान श्री राम की तरह जैसे बन्दरों ने सहायता की, उसी तरह मनुष्य के अलावा अन्य धरती के समस्त जीव सहायता करेंगे और जो गलत रास्ते पर चलता है,उस मनुष्य को रावण को जैसे विभीषण ने त्याग दिया, उसी तरह भाई भी त्याग करेंगे अर्थात सन्मार्ग पर चलने वाले के साथ सभी होते पर कुमार्गी का साथ उसका सगा भाई भी छोड देता है अतः सन्मार्ग पर ही चलना मानव का परम धर्म है

मंगलमय सुखद दिवस

पौष शुक्ल पक्ष अष्टमी 08:05amतक उपरि नवमी शुक्रवार रेवती नक्षत्र ३०/१२/२०२२

शतं विहाय भोक्तव्यं,
सहस्रं स्नानमाचरेत्।
लक्षं विहाय दातव्यं,
कोटिं त्यक्त्वा हरिँ भजेत्।।

अर्थात - सैकड़ों काम छोड़कर भोजन करना चाहिए , हजारो काम छोड़कर स्नान करना चाहिए, लाखो काम छोड़कर दान करना चाहिए और करोड़ो काम छोड़ कर ईश्वर का स्मरण करना चाहिए ईश्वर का स्मरण ही जीवन को शान्ति प्रदान करके परम लक्ष्य की ओर ले जाता है

मङ्गलं सुप्रभातम्

पौष शुक्ल पक्ष सप्तमी 8:48AM तक उपरि अष्टमी गुरुवार उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र २९/१२/२०२२

दूरस्थोऽपि न दूरस्थो
यो यस्य मनसि स्थितः।
यो यस्य हृदये नास्ति
समीपस्थोऽपि स दूरतः॥

अर्थात - जो व्यक्ति किसी के हृदय (अतिशय समीप) में रहता है, वह अत्यन्त दूर होने पर भी दूर नहीं होता है। जो हृदय ( समीप )में नहीं रहता है वह अतिशय सन्निकट रहने पर भी दूर ही रहता है ऐसै भगवान भी है प्रत्येक जीव के हृदय मे है पर जीव उन्हे दूर अनुभव करता है संसार वहुत दूर है पर वह समीप अनुभव करता है क्योकि वह संसार को हृदय मे वसाए हुए है

मङ्गलं सुप्रभातम्

पौष शुक्ल पक्ष षष्ठी 10:15am तक उपरि सप्तमी बुधवार शतभिषा नक्षत्र २८/१२/२०२२

यत् सुखं सेवमानोपि
धर्मार्थाभ्यां न हीयते।
कामं तदुप सेवेत
न मूढ व्रतमाचरेत्॥

अर्थात - मनुष्य को न्यायपूर्वक धर्म के मार्ग पर चलकर अर्थ का संग्रह करना चाहिए और भौतिक सुखों का भरपूर उपभोग करना चाहिए, लेकिन उनमें इतना आसक़्त नही हो जाना चाहिए जिससे अधर्म के मार्ग पर जाना पड़ जाए अर्थात वही संसार ही अच्छा लगने लगे और धर्म का पथ ही छूट जाए और जीवन मूल उद्देश्य से भटक जाए

मङ्गलं सुप्रभातम्

पौष शुक्ल पक्ष पंचमी 12:24तक उपरि षष्ठी मंगलवार नक्षत्र शतभिषा 27/12/2022

प्रथमं सुखं स्वस्थं शरीरम्,
द्वितीयं सुखं पवित्रं धनम् ।
तृतीयं सुखं शास्त्राणां पठनम्,
*चतुर्थं सुखं ईश्वरस्य चिन्तनम् l

भावार्थ - मनुष्य जीवन में पहला सुख स्वस्थ शरीर, दूसरा सुख पवित्र धन, तीसरा सुख पवित्र ग्रन्थ पढ़ना और चौथा प्रमुख सुख ईश्वर का स्मरण, ध्यान और चिन्तन करना यही सर्वोत्तम जीवन है

जय श्री राम🙏🏻🙏🏻मंगल मय दिवस

पौष शुक्ल पक्ष दिन मे चतुर्थी3|09pmतक उपरि पंचमी सोमवार नक्षत्र धनिष्ठा २६|१२|२०२२संवत २०७९

हेयं दु:खमनागतं
ध्येयं व्रह्म सनातनम् ।
आदेयं कायिकं सुखं
विधेयं जन सेवनम्। ।

अर्थात जीवन मे दुख के आने से पहले ही उसके रोकने का उपाय करना सदैव भगवान पर भरोसा करना शारीरिक सुख को सुरक्षित रखना और सामर्थ्य के अनुसार समाज की सेवा करना जो अपना लक्ष्य वना लेता है उसी का जीवन सफल तथा सुखमय होता है

मंगलमय शुभ दिवस ।

पौष शुक्ल पक्ष तृतीया दिन मे 6:22pmतक उपरि चतुर्थी रविवार श्रवण नक्षत्र रात्रि मे 30:12तक २५|१२|२०२२

यथावयो यथाकालं यथाप्राणं च ब्राह्मणे।
प्रायश्चितं प्रदातव्यं ब्राह्मणैर्धपाठकैं।।
येन शुद्धिमवाप्रोति न च प्राणैर्विज्युते।
आर्ति वा महती याति न चैतद् व्रतमहादिश।।

अर्थात यदि किसी पापी का अक्षम्य अपराध न हो तो उसकी उम्र, समय और शारीरिक क्षमता के अनुसार दंड देना चाहिए। दंड ऐसा न हो कि उसकी मृत्यु हो जाए बल्कि दंड ऐसा हो जो उसके विचार को शुद्ध कर सके यदि अपराध अक्षम्य है तो प्राण दंड देना ही पापी के प्रति न्याय है सामान्य अपराध करने वाले को उसके प्राणों को संकट में डालने वाला दंड देना उचित नहीं है उसे एक वार सुधरने का अवसर देना चाहिए।

मंगलमय सुखद दिवस

पौष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दिन मे 1:37amतक उपरि द्वितीया शनिवार पू०षा०नक्षत्र रात्रि मे 11:45amतक उपरि उ०षा०
२४ दिसम्बर २०२२

सानन्दं सदनं सुताश्च सुधियः कान्ता प्रियभाषिणी

सन्मित्रं सधनं स्वयोषिति रतिः चाज्ञापराः सेवकाः।

आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे साधोः सङ्गमुपासते हि सततं
धन्यो गृहस्थाश्रमः॥

अर्थात - जिस घर में सदैव प्रसन्नता का वातावरण रहता हो पुत्र पुत्रिया बुद्धिमान हो, पत्नी प्रिय बोलनेवाली हो, अच्छे मित्र हो, पर्याप्त धन हो, पति-पत्नी में प्रेम हो, सेवक आज्ञापालक हो, अतिथियो का सत्कार हो, ईश्वर का पूजन होता हो, प्रतिदिन सात्विक भोजन बनता हो और सत्पुरुषों का सत्सङ्ग होता हो – ऐसा गृहस्थाश्रम धन्य है।

मंगलमय सुखद दिवस

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